नई दिल्ली हाईकोर्टों में जजों के खाली पदों और आपराधिक मामलों की बढ़ती संख्या के मुकाबले लोगों को जल्द न्याय मिलने की राह सुप्रीम कोर्ट ने खोल दी है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अप्रेल, 2021 के लोक प्रहरी मामले में दिए अपने ही आदेश में ढील देते हुए कहा कि किसी हाईकोर्ट में स्वीकृत कुल पदों की 10 फीसदी सीमा तक एडहॉक जजों की नियुक्ति की जा सकती है।
लोक प्रहरी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल नामों के अलावा जजों के 20% पद खाली रहने पर ही एडहॉक जज बनाए जा सकते हैं। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने इस शर्त पर अमल स्थगित कर दिया। एडहॉक जज के रूप में हाईकोर्ट के ही रिटायर जजों की
नियुक्ति की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्टो में 62 लाख से ज्यादा मुकदमे लंबित है जिनमें 18 लाख आपराधिक माम है। प्रत्येक हाईकोर्ट संविधान के अनुच्छेद 224A के तहत दो से पांच तक एडहॉक जजों की नियुक्ति कर सकता है, लेकिन यह संख्या स्वीकृत संख्या के 10% से अधिक नहीं होनी चाहिए। एडहॉक जज मौजूदा दिल्ली हाईकोर्ट
(नियमित) जज की अगुवाई वाली खंडपीठ (डीबी) में बैठेंगे और लंबित आपराधिक अपीलों पर निर्णय करेंगे। एडहॉक जजों की नियुक्ति के लिए पहले से मौजूद प्रक्रिया (एसओपी) लागू की जाएगी
क्या बदलाव होगा
हाईकोर्ट में 2-5 रिटायर जज नियुक्त होंगे। (अधिकतम कुल पदों का 10%)
मौजूदा जज के साथ डीबी में बैठेंगे।
आपराधिक मामले सुनेंगे, सिंगल बेंच या दूसरे काम नहीं करेंगे।
हाईकोर्ट सीजे भेजेंगे नाम, सुप्रीम कोर्ट देगा हरी झंडी।
केंद्र के अनुमोदन पर राष्ट्रपति करेंगी नियुक्त।
जजों की संख्या बढ़ने से आपराधिक अपीलों पर जल्दी फैसला होगा
आपराधिक मुकदमे लंबित
इलाहाबाद हाईकोर्ट – 5.48 लाख
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट – 1.91 लाख
राजस्थान हाईकोर्ट – 1.81 लाख
गुजरात हाईकोर्ट – 55,325
कर्नाटक हाईकोर्ट – 53,186
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट – 28,699
कोलकाता हाईकोर्ट – 27,740
