BJP foundation day : भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने न केवल देश की राजनीति में बड़ा स्थान बनाया है, बल्कि आज वह दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है। इसके पीछे क्या रणनीति, निर्णय और नेतृत्व था जिसने उसे इस मुकाम तक पहुंचाया?

BJP foundation day : इस साल 6 अप्रैल को भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपनी स्थापना के 45 साल पूरे करने जा रही है। इस खास दिन को भव्य और जोरदार तरीके से मनाने की तैयारियां जोरों पर हैं। इन बड़े फैसलों और योजनाओं के बल पर BJP आज दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनकर उभरी है।
बीजेपी की जड़ें, भारतीय जनसंघ से शुरुआत
भारतीय जनता पार्टी यानी BJP का जन्म 6 अप्रैल 1980 को हुआ था, लेकिन इसकी जड़ें उससे भी ज्यादा गहरी हैं। दरअसल, इसकी कहानी 1951 से शुरू होती है, जब डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कांग्रेस सरकार की नीतियों से असहमति जताते हुए नेहरू कैबिनेट से इस्तीफा देकर भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी। वे कश्मीर को विशेष अधिकार दिए जाने के खिलाफ थे और इस मुद्दे पर उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।
जब पहली बार टूटा कांग्रेस का एकाधिकार
जनसंघ का असर 1967 में दिखना शुरू हुआ, जब दीनदयाल उपाध्याय के नेतृत्व में राज्यों में कांग्रेस का एकाधिकार टूटने लगा। 1977 में आपातकाल के बाद जब इंदिरा गांधी ने चुनाव की घोषणा की तो सभी विपक्षी दलों ने जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में जनता पार्टी बनाई। जनसंघ भी इसमें शामिल हो गया।
जनता पार्टी का विघटन और BJP की स्थापना
लेकिन यह गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चला। जब आरएसएस से संबंधों को लेकर मतभेद पैदा हुए तो जनसंघ के नेता अलग हो गए और 1980 में भाजपा की स्थापना की और अटल बिहारी वाजपेयी इसके पहले अध्यक्ष बने।
शुरुआती संघर्ष और पहली हार
शुरुआत आसान नहीं थी। 1984 के लोकसभा चुनाव में BJP को सिर्फ 2 सीटें मिलीं। लेकिन 1989 में बोफोर्स घोटाले और राम मंदिर आंदोलन के मुद्दे ने पार्टी को नई पहचान दी। लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा ने पार्टी के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने की कोशिश की।
NDA का गठन और केंद्र में सत्ता में वापसी
1998 में भाजपा ने अपने सहयोगियों के साथ एनडीए सरकार बनाई और केंद्र में सत्ता हासिल की। 1999 में NDA को फिर से बहुमत मिला और वाजपेयी एक बार फिर प्रधानमंत्री बने।
2004 की हार और विपक्ष में वापसी
हालांकि, 2004 में ‘इंडिया शाइनिंग’ अभियान के बावजूद कांग्रेस ने वापसी की और भाजपा को विपक्ष में बैठना पड़ा। 2009 में पार्टी की हालत और भी कमजोर हो गई।
2014 से भाजपा का स्वर्णिम काल शुरू होता है
लेकिन 2014 में भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इतिहास रच दिया। पार्टी ने अकेले 282 सीटें जीतीं और एनडीए को 336 सीटें मिलीं। 1984 के बाद यह पहला मौका था जब किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला।
सदस्यता अभियान ने जनाधार बढ़ाया
भाजपा की सफलता में सबसे बड़ा योगदान उसके विशाल कार्यकर्ता आधार का है। जब अमित शाह ने पार्टी अध्यक्ष का पद संभाला तो उन्होंने देशव्यापी सदस्यता अभियान शुरू किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता की लहर में लाखों लोग पार्टी से जुड़े। 2015 तक भाजपा के सदस्यों की संख्या 10 करोड़ को पार कर गई। 2019 के लोकसभा चुनाव तक भाजपा की सदस्यता का आंकड़ा बढ़कर करीब 18 करोड़ हो गया।
तकनीक और डिजिटल मीडिया का स्मार्ट इस्तेमाल
डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल कर भाजपा ने राजनीति में नई ऊंचाइयों को छुआ। सदस्यता अभियान को ऑनलाइन बनाया गया, ताकि लोग मोबाइल के जरिए जुड़ सकें। वर्चुअल माध्यम से आंतरिक बैठकें की गईं और सोशल मीडिया और व्हाट्सएप के जरिए जनसंपर्क को मजबूत किया गया।
राज्यवार रणनीति और सामाजिक समीकरण
हर राज्य की अलग-अलग राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने क्षेत्रीय रणनीति तैयार की। अमित शाह के नेतृत्व में राज्यवार सोशल इंजीनियरिंग पर खास ध्यान दिया गया। राम मंदिर जैसे मुद्दों पर सालों पुराने विवादों को सुलझाकर पार्टी आम जनता का भरोसा जीतने में सफल रही।
मजबूत संगठन और दृढ़ निश्चयी स्वयंसेवक भाजपा की रीढ़ बने
भाजपा ने जमीनी स्तर से अपने संगठन को मजबूत किया। बूथ स्तर से लेकर जिला, मंडल और पन्ना प्रमुख तक कार्यकर्ताओं को संरचनात्मक तरीके (ऊपर से नीचे तक) सक्रिय किया गया, इसलिए वह अन्य राजनीतिक दलों की तुलना में हर मतदाता से सीधे संपर्क करने में सफल रही।
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Author: News Patna Ki
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