Bihar Political News : मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अहम भूमिका निभा रही है। एनडीए और भारत दोनों गठबंधन उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं। जानिए मल्लाह नेता की मांग और राजनीतिक समीकरण।

Bihar Political News : आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार की राजनीति में हलचल मची हुई है। एक तरफ सत्ताधारी एनडीए गठबंधन अपनी सत्ता बचाने की रणनीति बना रहा है, तो दूसरी तरफ महागठबंधन भी किसी भी कीमत पर चुनावी जंग जीतने को बेताब है। लेकिन इस बार मुकाबला सिर्फ दो ध्रुवों के बीच नहीं है, बल्कि एक तीसरा ध्रुव है, जो सत्ता का संतुलन बना सकता है और वो हैं विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के मुखिया मुकेश सहनी।
निषाद नेता मुकेश सहनी: दोनों गठबंधनों के लिए आकर्षण का केंद्र
मुकेश सहनी खुद को निषाद-मल्लाह समुदाय का नेता मानते हैं और इसी वोट बैंक के आधार पर अपनी राजनीतिक ताकत मजबूत करने की कोशिश में हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में जब वे महागठबंधन में शामिल हुए तो आरजेडी ने उन्हें अपने कोटे से तीन सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका दिया, जिससे तेजस्वी यादव और सहनी के बीच नजदीकियां और मजबूत हुईं।
इसका फायदा भी राजद को मिला क्योंकि सहनी ने निषाद समुदाय में अपनी पकड़ बनाए रखी और विपक्ष के लिए एक ठोस विकल्प बन गए। इसके बावजूद एनडीए भी उन्हें अपने साथ लाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। 2020 की तरह इस बार भी सहनी को फिर से एनडीए में शामिल किए जाने को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं।
60 सीटों की मांग और उपमुख्यमंत्री पद की दावेदारी
हाल ही में मुकेश सहनी ने विधानसभा चुनाव में INDIA गठबंधन से 60 सीटों और उपमुख्यमंत्री पद की मांग की थी। इस मांग से महागठबंधन के भीतर अन्य दलों में हलचल मच गई है। हालांकि, 17 अप्रैल को पटना में हुई बैठक में तेजस्वी यादव ने साफ संकेत दिया कि सहनी को गठबंधन में बनाए रखने की पूरी कोशिश की जाएगी। उन्होंने कांग्रेस के बराबर रखकर उनकी राजनीतिक अहमियत को रेखांकित किया।
मुकेश सहनी इतने अहम क्यों हैं?
सहनी के मुताबिक निषाद और मल्लाह समुदाय की आबादी 14% है, जबकि जाति जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक यह 2.6% है। भले ही यह आंकड़ा कम हो, लेकिन कई इलाकों में इनकी निर्णायक भूमिका मानी जाती है। यही वजह है कि दोनों गठबंधन इन्हें अपने पाले में करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि अगर सहनी हारते हैं तो इसका सीधा फायदा एनडीए को होगा।
“जो दूध से जला हो, वह छाछ भी बहुत सावधानी से पीता है”: साहनी
मुकेश साहनी ने एनडीए में वापस जाने की अटकलों पर दिलचस्प टिप्पणी करते हुए कहा कि जो दूध से जला हो, वह छाछ भी बहुत सावधानी से पीता है। यह बयान बताता है कि फिलहाल वह महागठबंधन से संतुष्ट हैं, लेकिन राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता। सत्ता समीकरण, सीट बंटवारा और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं कब बदल जाएं, इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता।
सहनी बन सकते हैं सत्ता का संतुलन
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मुकेश सहनी न सिर्फ सीटों के किंगमेकर की भूमिका में हैं, बल्कि वे यह भी तय कर सकते हैं कि सत्ता का ताज किसे मिलेगा। उनके पास अभी समय है और शायद इसीलिए वे अपनी राजनीतिक कीमत को अधिकतम करने की रणनीति अपना रहे हैं। अब देखना यह है कि सहनी महागठबंधन में बने रहते हैं या एनडीए उन्हें वापस अपने साथ लाने में सफल होता है। एक बात तो तय है- बिहार का अगला चुनाव मुकेश सहनी के बिना नहीं लिखा जा सकता।
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Author: News Patna Ki
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