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केंद्र ने 24 घंटे में Bihar को दिया दूसरा झटका! 85 केंद्रीय विद्यालय और 28 नवोदय विद्यालय शुरू करने की घोषणा, लेकिन बिहार में एक भी नहीं

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केंद्र की मोदी सरकार ने 24 घंटे में Bihar को एक और झटका दिया है। मक्का अनुसंधान केंद्र को स्थानांतरित कर दिया गया। वहीं केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय को लेकर भी बिहार के साथ अन्याय किया गया। नई सूची में बिहार को जगह नहीं दी गई है।
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एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार Bihar के विकास के लिए बड़े-बड़े दावे करती है। वहीं दूसरी तरफ बिहार की लगातार अनदेखी की जा रही है। अभी एक दिन पहले ही बेगूसराय के मक्का अनुसंधान केंद्र को कर्नाटक में शिफ्ट करने की बात हुई थी। अब शिक्षा के क्षेत्र में भी अन्याय हो रहा है। केंद्र ने नए केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय की घोषणा की है। लेकिन इस सूची में बिहार को जगह नहीं दी गई है। जिसको लेकर राजनीति गरमा गई है।

आज राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान राजद सांसद संजय यादव ने केंद्र सरकार से Bihar में नए केंद्रीय विद्यालय और जवाहर नवोदय विद्यालय खोलने की मांग की, क्योंकि केंद्र सरकार ने पिछले 10 वर्षों में बिहार में एक भी केंद्रीय विद्यालय और जवाहर नवोदय विद्यालय नहीं खोला है.

RJD सांसद ने उठाया सवाल

राजद सांसद संजय यादव ने कहा कि हाल ही में भारत सरकार ने देशभर में 85 नए केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना के लिए विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का चयन किया है। मैं सदन का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूं कि इन 85 नए केंद्रीय विद्यालयों और 28 जवाहर नवोदय विद्यालयों में से बिहार को एक भी केंद्रीय विद्यालय नहीं मिला है। जो बिहार के साथ अन्याय है।

पटना को छोड़कर बिहार में दो केंद्रीय विद्यालय नहीं हैं।

जनसंख्या के लिहाज से बिहार तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। Bihar में देश की कुल आबादी का करीब 10% हिस्सा रहता है, यानी इस देश का हर दसवां व्यक्ति बिहारी है। अगर ऐसे राज्यों की सूची बनाई जाए जहां प्रति लाख लोगों पर सबसे कम केंद्रीय विद्यालय या जवाहर नवोदय विद्यालय हैं, तो बिहार निश्चित रूप से उसमें सबसे ऊपर होगा क्योंकि यहां पटना जिले को छोड़कर हर जिले में एक से ज्यादा केंद्रीय विद्यालय नहीं हैं। पूर्णिया जिले में तो केंद्रीय विद्यालय का अपना भवन भी नहीं है।

आरजेडी सांसद ने कहा, बिहार में साक्षरता दर देश में सबसे कम है। Bihar में साक्षरता दर देश में सबसे कम है. बिहार में निरक्षरता देश में सबसे ज्यादा है. महिलाओं की साक्षरता दर में भी बिहार सबसे निचले पायदान पर है. स्कूल ड्रॉप आउट दर (School Drop Out Rate) बिहार में सबसे ज्यादा है. ग्रामीण इलाकों में साक्षरता दर भी बिहार में सबसे कम है. सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio) बिहार में सबसे कम है. नीति आयोग के एसडीजी इंडेक्स में बिहार सबसे निचले पायदान पर है. बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multi-Dimensional Poverty Index) में बिहार देश में सबसे निचले पायदान पर है.”

बिहार को केंद्रीय विद्यालय और नवोदय की जरूरत है

संजय यादव ने कहा कि समुचित विकास और औद्योगिकीकरण के अभाव में शिक्षा ही एकमात्र ऐसा माध्यम है जिसके जरिए बिहार जैसे राज्य पिछड़ेपन और गरीबी के दुष्चक्र को तोड़कर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं। बिहार में स्कूलों की स्थिति भी अच्छी नहीं है। ऐसे में बिहार में कम खर्च में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय विद्यालय और जवाहर नवोदय विद्यालय को अधिक से अधिक संख्या में उपलब्ध कराना जरूरी है।

पूछा- चयन का मापदंड क्या है।

अगर देश में सबसे कम साक्षरता दर को मापदंड नहीं माना जाता, जनसंख्या को मापदंड नहीं माना जाता, छात्रों की सबसे अधिक संख्या को मापदंड नहीं माना जाता, देश में सबसे अधिक ड्रॉप आउट दर को मापदंड नहीं माना जाता, जीईआर को मापदंड नहीं माना जाता, तो चयन का मापदंड क्या है?

जब बिहार इतने सारे सांसदों को केंद्र में भेजता है, तो यह समझ से परे है कि माननीय सांसद किसी भी राज्य के हित में बनने वाली केंद्रीय सूची में बिहार का नाम क्यों नहीं शामिल करवा पाते? बिहार लगातार केंद्र सरकार की उपेक्षा झेल रहा है, जिसे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

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Author: News Patna Ki

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