Drug License News : बिहार में दवा लाइसेंसिंग प्रक्रिया में बड़ा बदलाव हुआ है। राज्य में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए वन नेशन वन ड्रग लाइसेंस (ONDLS) प्रणाली लागू की गई है।

Drug License News : बिहार में ड्रग लाइसेंस प्रक्रिया के लिए नियम लागू कर दिया गया है। ड्रग लाइसेंस में पारदर्शिता लाने और राज्य में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए वन नेशन वन ड्रग लाइसेंस (ONDLS) प्रणाली लागू की गई है। नई व्यवस्था के तहत लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा और यह प्रक्रिया कई चरणों से गुजरेगी जिससे दवा कारोबार में पारदर्शिता आएगी।
जानकारी के अनुसार, राज्य में ड्रग लाइसेंसिंग प्रक्रिया में बड़ा बदलाव हुआ है। बिहार ने ड्रग कंट्रोल विभाग में पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए वन नेशन, वन ड्रग लाइसेंसिंग यानी ओएनडीएलएस व्यवस्था लागू की है। नई व्यवस्था में नए ड्रग लाइसेंस या नवीनीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। सबसे पहले यह आवेदन राज्य औषधि नियंत्रक के पास जाएगा। वे संबंधित ड्रग इंस्पेक्टर को भौतिक सत्यापन के लिए दस्तावेज भेजेंगे।
वहीं, पहला चरण पूरा होने के बाद यह रिपोर्ट उप औषधि नियंत्रक के पास जाएगी, जो इसके तकनीकी पहलुओं की जांच और पुष्टि कर लाइसेंस जारी करने के लिए जिला अनुज्ञापन पदाधिकारी को भेजेंगे। साथ ही राज्य के सभी दवा दुकानदारों का एक केंद्रीय डाटा भी तैयार किया जाएगा, ताकि वरिष्ठ अधिकारी इसकी निगरानी सुनिश्चित कर सकें।
इसके साथ ही होम्योपैथी समेत आयुष दवाओं के लिए भी नया नियम लागू किया गया है। यह जानकारी पटना के सहायक औषधि नियंत्रक चुनेंद्र महतो ने दी। उन्होंने बताया कि हाल ही में गया के बिपद में सभी पदाधिकारियों को नई लाइसेंसिंग व्यवस्था का प्रशिक्षण दिया गया है। पुरानी की तुलना में नई लाइसेंसिंग प्रक्रिया कुछ जटिल है, लेकिन इसमें गलती की गुंजाइश नहीं रहेगी।
नई व्यवस्था के तहत अब नए लाइसेंस के लिए आवेदन चार चरणों से गुजरेगा। सबसे पहले राज्यभर से आए आवेदन औषधि नियंत्रक के पास जाएंगे। यहां आवेदन पत्र और संलग्न दस्तावेजों की प्रारंभिक जांच होगी। कोई दस्तावेज अधूरा होने पर आवेदन रोक दिया जाएगा और जानकारी दी जाएगी। सही होने पर राज्य औषधि नियंत्रक इसे संबंधित औषधि निरीक्षक के पास भेजेंगे, जो दुकान-संस्था और वहां की व्यवस्था की वास्तविक रिपोर्ट देंगे।
इसके बाद उप औषधि निरीक्षक के पास जाएगा, जो तकनीकी मूल्यांकन यानी फार्मासिस्ट की योग्यता, औषधि भंडारण व्यवस्था समेत अन्य तकनीकी पहलुओं की जांच और समीक्षा कर रिपोर्ट देंगे। अगर उनके स्तर पर सभी रिपोर्ट और दस्तावेज संतोषजनक पाए जाते हैं तो लाइसेंस की मंजूरी के लिए आवेदन को जिला लाइसेंसिंग अधिकारी के पास भेजा जाएगा।
यह पूरी प्रक्रिया 30 दिन में पूरी करनी होगी और लाइसेंस जारी करना होगा या आवेदन को खारिज करना होगा। हर टेबल की कार्यवाही रिकॉर्ड में होगी और उच्च अधिकारी कभी भी उसका निरीक्षण कर सकते हैं। इसके अलावा दवा विक्रेताओं को नए पोर्टल पर पंजीकरण कर संबंधित लाइसेंस और दस्तावेज अपलोड करने होंगे। इससे पूरे देश के लिए एक केंद्रीय डेटा तैयार करने में मदद मिलेगी।
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Author: News Patna Ki
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