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Government job बिहार में सरकारी नौकरियों का आकर्षण..स्थिरता और सामाजिक प्रतिष्ठा?

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Government job : बिहार में सरकारी नौकरी आज भी सबसे सुरक्षित और प्रतिष्ठित करियर विकल्प माना जाता है। हर साल लाखों युवा BPSC, SSC, रेलवे और बैंकिंग जैसी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं।
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Government job : बिहार में सरकारी नौकरी आज भी एक सम्मानजनक और सुरक्षित करियर विकल्प माना जाता है। लाखों युवा हर साल BPSC, SSC, रेलवे और बैंकिंग जैसी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, लेकिन सरकारी नौकरियों की सीमित संख्या और कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण सफलता हासिल करना आसान नहीं है।

आपको बता दें कि बिहार में सरकारी नौकरियों की संख्या राज्य की कुल आबादी के अनुपात में अपेक्षाकृत कम है। यह आंकड़ा बताता है कि राज्य की विशाल आबादी की तुलना में सरकारी नौकरी पाने वालों की संख्या बहुत कम है, जबकि सरकारी नौकरी चाहने वालों की संख्या कहीं ज़्यादा है।

इसलिए सरकारी नौकरियों के लिए गलाकाट प्रतिस्पर्धा जैसी स्थिति बन गई है। हर साल लाखों उम्मीदवार विभिन्न सरकारी पदों के लिए आवेदन करते हैं, लेकिन सीमित पदों के कारण अधिकांश उम्मीदवारों को निराशा का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, बिहार में पिछले कुछ सालों में रेलवे भर्ती बोर्ड जैसे विभिन्न विभागों की परीक्षाओं में लाखों उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया, लेकिन पदों की सीमित संख्या के कारण कुछ ही उम्मीदवारों को सफलता मिली।

सरकारी नौकरियों की सीमित संख्या और बढ़ती जनसंख्या के असंतुलन के कारण बेरोजगारी की समस्या गंभीर बनी हुई है, जिससे युवाओं में हताशा और असंतोष बढ़ रहा है। इसके पीछे एक मुख्य कारण यह है कि युवाओं के पास पढ़ाई और कौशल से जुड़े कोर्स करने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं हैं। उदाहरण के लिए, उन्हें मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है।

सरकारी नौकरियों की लोकप्रियता के प्रमुख कारण
सरकारी नौकरियों में स्थायी वेतन, पेंशन और स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती हैं, जो युवाओं को निजी क्षेत्र की अस्थिरता से अधिक आकर्षित करती हैं। माता-पिता भी अपने बच्चों को सरकारी नौकरी में देखना पसंद करते हैं, क्योंकि यह पारंपरिक रूप से सम्मान और स्थिरता का प्रतीक रहा है।

इसलिए, युवा इसे किसी भी कीमत पर पाने के लिए किसी भी संघर्ष में लगे रहते हैं। हालांकि, पिछले कुछ सालों में बीपीएससी, एसएससी और नीट जैसी कई परीक्षाओं में पेपर लीक और भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं। इससे छात्रों का समय, पैसा और आत्मविश्वास दोनों ही प्रभावित होता है। पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया की मांग को लेकर कई आंदोलन हुए, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ।

बिहार में निजी क्षेत्र में अवसरों की कमी
बिहार में बड़े उद्योगों और बहुराष्ट्रीय (MNC) कंपनियों की संख्या कम है। बेहतर वेतन और सुविधाएं देने वाली कंपनियां मुख्य रूप से बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे जैसे शहरों में स्थित हैं। बिहार में श्रम कानून प्रवर्तन और अनुपालन की कमी के कारण, कई निजी नौकरियां अस्थायी हैं और कर्मचारियों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं देती हैं।

इसके कारण, कार्य-जीवन संतुलन की कमी होती है और कर्मचारियों को किसी भी तरह की सुरक्षा नहीं मिलती है, जिसके कारण इसे असंगठित क्षेत्र कहा जाता है। दूसरी ओर, सरकारी नौकरियों में बेहतर कार्य-जीवन संतुलन, सुरक्षा और सुविधाएं मिलती हैं, जिसके कारण इसे संगठित क्षेत्र माना जाता है।

संभावित समाधान
पेपर लीक और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए और परीक्षा प्रणाली को और अधिक पारदर्शी बनाया जाना चाहिए। साथ ही, पारंपरिक पाठ्यक्रमों के अलावा युवाओं को कौशल विकास पर अधिक ध्यान देना चाहिए।

निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाना
सरकार को बिहार में स्टार्टअप, उद्योग और स्वरोजगार को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध हों। बिहार के युवा व्यवसाय शुरू करने से बचते हैं, क्योंकि उनके पास वित्तीय स्थिरता, नीतिगत समर्थन और बुनियादी ढाँचे के समर्थन की भारी कमी है।

वैकल्पिक करियर विकल्पों को प्रोत्साहित करना
युवाओं को आईटी, डिजिटल मार्केटिंग, पर्यटन और अन्य कौशल-संबंधी पाठ्यक्रम अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। बिहार में माता-पिता को भी अपने बच्चों को व्यवसाय और कौशल-संबंधी काम करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि वे अपना खुद का व्यवसाय स्थापित कर सकें और राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकें।

बिहार में सरकारी नौकरियों की मांग आने वाले वर्षों में बनी रहेगी, लेकिन युवाओं को नए अवसरों के लिए तैयार करना ज़रूरी है। शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता को बढ़ावा देकर इस स्थिति को सुधारा जा सकता है, ताकि युवा केवल एक ही करियर विकल्प पर निर्भर न रहें।

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Author: News Patna Ki

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