महाकुंभ 2025
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महाकुंभ की गलियां मुक्ति के मार्ग की ओर भी ले जाती हैं। आपको यहां बहुत सारे ऐसे लोग मिल जाते हैं, जो जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाना चाहते हैं। यहां साधना के ऐसे माध्यमों को खोजने की कोशिश होती है, जिससे 84 लाख योनियों में जन्म लेने के चक्र से मुक्ति पाई जा सके। महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित पद्म पुराण में 84 लाख योनियों का वर्णन मिलता है। इसमें यह भी बताया गया है कि 30 लाख योनियां धरती पर रहने वाले जीव-जंतुओं की हैं। 20 लाख योनियां पेड़ पौधों पर रहने वाले जीव जंतु की। 11 लाख योनियां कीड़े-मकोड़ों की और 9 लाख योनियां जल में रहने वाले जीव जंतुओं की हैं। इसके साथ ही 10 लाख योनियां आकाश में उड़ने वाले पक्षियों की हैं और बाकी 4 लाख योनियां मनुष्य की होती हैं। आमतौर पर माना जाता है कि मुक्ति के लिए अंतिम संस्कार की प्रक्रिया से गुजरना होता है, तो ऐसे में मन में सवाल उठता है कि नागा संन्यासियों का जब अंतिम संस्कार नहीं होता तो वो मुक्ति कैसे प्राप्त करते हैं?
