इस साल भारत में चीनी उत्पादन में भारी गिरावट देखी गई है। यह गिरावट मुख्य रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में उत्पादन में कमी के कारण हुई है।
उद्योग संगठन ISMA (Indian Sugar and Bio-Energy Manufacturers Association) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 15 फरवरी 2025 तक चीनी उत्पादन 12 फीसदी घटकर 197 लाख टन रह गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 224.15 लाख टन था। यह गिरावट मुख्य रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में उत्पादन कम होने की वजह से आई है।
भारत में चीनी उत्पादन अक्टूबर से सितंबर तक चलने वाले चीनी विपणन वर्ष के दौरान दर्ज किया जाता है। लेकिन इस साल महाराष्ट्र और कर्नाटक में चीनी उत्पादन में भारी गिरावट आई है।
इसके पीछे कुछ महत्वपूर्ण कारण बताए जा रहे हैं:
खराब मानसून और जल संकट – महाराष्ट्र और कर्नाटक में इस साल बारिश की कमी ने गन्ने की फसल को प्रभावित किया।
इथेनॉल उत्पादन की ओर बढ़ता रुझान – सरकार द्वारा इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम को बढ़ावा दिए जाने के कारण गन्ने का एक बड़ा हिस्सा इथेनॉल उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा।
गन्ना किसानों की समस्याएँ – किसानों को समय पर भुगतान न मिलने और बढ़ती लागत के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ।
इथेनॉल के लिए चीनी का इस्तेमाल
ISMA के अनुसार, 31 जनवरी 2025 तक इथेनॉल उत्पादन के लिए 14.1 लाख टन चीनी का इस्तेमाल किया गया, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 8.3 लाख टन था। सरकार हरित ऊर्जा और वैकल्पिक ईंधन को बढ़ावा देने के लिए इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा दे रही है, जिससे पारंपरिक चीनी उत्पादन प्रभावित हुआ है।
बाजार और आम जनता पर असर
चीनी की कीमतें बढ़ सकती हैं – कम उत्पादन के कारण घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें बढ़ सकती हैं।
निर्यात पर असर पड़ सकता है – भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और निर्यातक है, लेकिन उत्पादन में गिरावट के कारण निर्यात पर प्रतिबंध लग सकते हैं।
गन्ना किसानों पर असर – कम उत्पादन का सीधा असर किसानों की आय पर पड़ सकता है।

Author: News Patna Ki
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