मंजरी की शादी महज 19 साल की उम्र में एक IPS अधिकारी से हो गई थी। शादी के बाद उन्हें एहसास हुआ कि उनके पति और ससुराल वाले शिक्षा को लेकर गंभीर नहीं हैं।
Success Story : भारत में अगर कोई सबसे कठिन या यूं कहें कि सबसे कठिन परीक्षा है तो वो है संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा। इस परीक्षा में सफल होने के बाद छात्रों को भारतीय प्रशासनिक सेवा या भारतीय पुलिस सेवा में नौकरी मिलती है। यानी सीधे शब्दों में कहें तो वो IAS या IPS बनते हैं। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताएंगे जिसे जानकर आप भी दंग रह जाएंगे कि आखिर उन्होंने ये फैसला कैसे लिया?
आपको बता दें कि भारत में सिविल सेवा परीक्षा (UPSC) पास करना हर छात्र का सपना होता है। लेकिन यह राह इतनी आसान नहीं होती, खासकर तब जब आपके सामने सामाजिक बंधन और पारिवारिक परिस्थितियों की चुनौतियां हों। लेकिन आज हम आपको बिहार की पहली और भारत की पांचवीं महिला आईपीएस अधिकारी मंजरी जरूर की कहानी बताने जा रहे हैं, जो अपने आप में बेहद प्रेरणादायक कहानी है।
मंजरी जरूहर का जन्म एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उनके परिवार के कई सदस्य आईएएस और आईपीएस अधिकारी रह चुके थे। ऐसे में सभी को लगता था कि उनके लिए अधिकारी बनना कोई बड़ी और नई बात नहीं होगी। लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर थी। इसकी वजह यह थी कि उन्हें वह सहयोग नहीं मिला जिसकी उन्हें उम्मीद थी। उन्हें शिक्षा में गहरी रुचि थी, लेकिन समाज और पारिवारिक जिम्मेदारियों की बेड़ियों ने उनकी राह में कई रुकावटें खड़ी कर दी थीं।
सबसे पहले मंजरी की शादी महज 19 साल की उम्र में एक आईएफएस अधिकारी से हुई थी। शादी के बाद उन्हें अहसास हुआ कि उनके पति और ससुराल वाले शिक्षा को लेकर गंभीर नहीं हैं। इसलिए घर की जिम्मेदारियों के बीच उनकी शिक्षा और करियर के सपने कहीं खो गए। इसके बाद एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्हें लगा कि अब उन्हें जीवन भर सिर्फ गृहिणी बनकर ही रहना होगा।
सबसे बड़ी बात यह है कि इस कठिन परिस्थिति में भी उन्होंने कभी खुद को कमजोर नहीं होने दिया और अपनी पहचान खुद बनाने की ठानी। सबसे पहले उन्होंने अपने ससुराल वालों से अलग होने का साहसिक कदम उठाया। इसके बाद मंजरी ने पटना वीमेंस कॉलेज से इंग्लिश ऑनर्स और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की।
इसके बाद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने 1974 में पहली बार परीक्षा दी, जिसमें उन्होंने प्रीलिम्स और मेन्स पास कर लिया, लेकिन इंटरव्यू पास नहीं कर पाईं। लेकिन सबसे बड़ी बात यह रही कि इस असफलता ने उन्हें तोड़ा नहीं, बल्कि और भी मजबूत बना दिया। उन्होंने 1975 में फिर से परीक्षा दी और इस बार सफलता ने उनके कदम चूमे।
यहां मंजरी जरूहर को आईपीएस पद तो मिला, लेकिन आईएएस नहीं। इसके बाद उन्होंने 1976 में फिर यूपीएससी की परीक्षा दी। लेकिन इस बार न तो मेन्स पास हुई और न ही इंटरव्यू। फिर भी उन्होंने आईपीएस का करियर बनाया और देश को बेहतरीन सेवाएं दीं। उनकी कहानी संघर्ष, आत्मनिर्भरता और दृढ़ संकल्प की प्रतीक है। उन्होंने साबित कर दिया कि परिस्थितियां कितनी भी विपरीत क्यों न हों, अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है।

Author: News Patna Ki
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