Bihar News : डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने कहा कि गया के तत्कालीन खनिज विकास पदाधिकारी ने नियमों का उल्लंघन कर बालू घाट संचालकों पर लगाए गए जुर्माने की राशि को करोड़ों से घटाकर लाखों में कर दिया था। विभाग ने अब चारों बालू घाटों से जुर्माने की पूरी राशि वसूलने का आदेश दिया है।

Bihar News : विभाग में बड़ा घोटाला उजागर हुआ है. गया जिले में खनन विभाग के अधिकारी ने बालू माफियाओं के साथ मिलीभगत कर बड़ा घोटाला किया है. खनन विभाग के मंत्री सह डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने जब मामले की जांच कराई तो पूरी सच्चाई सामने आ गई. पूरे घोटाले में शामिल खनिज विकास पदाधिकारी पर विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया गया है.
खान आयुक्त ने गया जिले के चार बालू घाटों से कुल 30 करोड़ 68 लाख 16 हजार 111 रुपये जुर्माना राशि वसूलने का आदेश दिया है. दरअसल गया के तत्कालीन खनिज विकास पदाधिकारी ने चारों घाटों पर लगाए गए जुर्माने की कुल राशि 31 करोड़ 26 लाख 94 हजार 45 रुपये से घटाकर 32 लाख 87 हजार 71 रुपये कर दी थी.
उपमुख्यमंत्री सह खनन विभाग के मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि गया जिले के विभिन्न बालू घाटों के ठेकेदारों के विरुद्ध पूर्व में अधिरोपित अर्थदंड को तत्कालीन खनिज विकास पदाधिकारी ने आश्चर्यजनक रूप से कम कर दिया था।
समीक्षा के बाद खान आयुक्त (बिहार) के न्यायालय द्वारा बिहार खनिज नियमावली-2019 के नियम-7(सी) के तहत निदेशक, खान की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने संज्ञान लिया और मामले की जांच की।
कमेटी की जांच में पाया गया कि गया जिले के 4 बालू घाट क्लस्टरों – (1) खिजरसराय बालू घाट (क्लस्टर संख्या-22), (2) बैजूधाम बालू घाट (क्लस्टर संख्या-45), (3) बनाही एवं महुआमा बालू घाट (क्लस्टर संख्या-33), तथा विष्णुविघा बालू घाट (क्लस्टर संख्या-29) में अनुमेय खनन सीमा से अधिक खनन किया गया था, जिसकी पुष्टि विभागीय जांच दल द्वारा की गई।
जांच के बाद प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर (1) रू. खिजरसराय बालू घाट के संचालक मेसर्स जय भगवती माइंस पर 19 करोड़ 35 लाख 22 हजार 8 सौ 20 रुपये (19,35,22,820 रुपये), (2) बैजूधाम बालू घाट के संचालक श्री रंजीत कुमार पर 8 करोड़ 14 लाख 31 हजार 388 रुपये (8,14,31,388 रुपये), (3) बनाही एवं महुआमा बालू घाट के संचालक मेसर्स मलिक ट्रांसपोर्ट पर 3 करोड़ 28 लाख 55 हजार 857 रुपये (3,28,55,857 रुपये) तथा विष्णुविघा बालू घाट के संचालक रामजी प्रसाद सिन्हा पर 48 लाख 83 हजार 980 रुपये (48,83,980 रुपये) का जुर्माना लगाया गया है। जुर्माना लगाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी घाटों के संचालकों ने उच्च न्यायालय में परिवाद दायर किया था। सभी मामलों में हाईकोर्ट ने शिकायत खारिज कर दी और प्राधिकरण को नियमानुसार कार्रवाई करने की स्वतंत्रता दी।
यहां गौर करने वाली बात यह है कि चारों मामलों में औचक निरीक्षण खनन के लिए निर्धारित अवधि (15 अक्टूबर से 15 जून के बीच) में ही किया गया था। लेकिन तत्कालीन खनिज विकास पदाधिकारी, गया ने उस वर्ष के मानसून सीजन के बाद आश्चर्यजनक रूप से अधिरोपित जुर्माने की राशि को संशोधित कर काफी हद तक कम कर दिया था।
मानसून सीजन की चर्चा इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि मानसून सीजन में खनिज क्षेत्र में गाद और बालू जमा हो जाता है, अक्सर यह जमाव 40 से 50 प्रतिशत तक होता है। दूसरा तथ्य यह है कि विभागीय निरीक्षण में संचालकों पर अधिरोपित जुर्माने को गया के तत्कालीन खनन विकास पदाधिकारी ने नियमों की अनदेखी कर काफी कम कर दिया था।
समझिए खेल……
- खिजरसराय बालू घाट (क्लस्टर संख्या-22) के लिए प्रस्तावित जुर्माना राशि 19 करोड़ 35 lakha 22 hajar 8 सौ 20 रुपये से घटाकर 6 लाख 81 हजार 494 रुपये कर दी गई।
- बैजूधाम बालू घाट (क्लस्टर संख्या-45) के लिए प्रस्तावित जुर्माना राशि 8 करोड़ 14 लाख 31 हजार 388 रुपये से घटाकर 11 लाख 58 हजार 884 रुपये कर दी गई।
- बनाही एवं महुआमाँ बालू घाटों (कलस्टर संख्या-33) के लिए प्रस्तावित जुर्माना राशि 3 करोड़ 28 लाख 55 हजार 857 रुपये से घटाकर 11 lakh 58 hajar 884 रुपये कर दी गई।
विष्णुविघा बालू घाट (क्लस्टर संख्या-29) के लिए प्रस्तावित जुर्माना राशि 15 करोड़ 20 लाख 31 हजार 388 रुपये से घटाकर 11 लाख 58 हजार 832 रुपये कर दी गई। यानी इन चार घाटों पर लगाए गए कुल जुर्माने की राशि 31 करोड़ 26 लाख 94 हजार 45 रुपये को तत्कालीन खनिज विकास पदाधिकारी, गया ने संशोधित कर 32 लाख 87 हजार 71 रुपये कर दिया। इस प्रकार यह न केवल राज्य के राजस्व संग्रह को प्रभावित करने का मामला है, बल्कि उक्त पदाधिकारी द्वारा नियमों का भी सीधा उल्लंघन किया गया है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे पहले तो ऐसे दंड में संशोधन का अधिकार जिला समाहर्ता को है न कि खनिज विकास पदाधिकारी को। दूसरे, उन्होंने दंड में यह संशोधन किस आधार पर किया। क्या इसके लिए कोई समीक्षा समिति गठित की गई थी? तीसरे, प्रस्तावित दंड की संशोधित राशि इतनी कम क्यों की गई, जिसे कतई आनुपातिक नहीं माना जा सकता। यह स्पष्ट रूप से वित्तीय अनियमितता के साथ-साथ आपराधिक कृत्य का मामला है।
जैसे ही यह मामला हमारे संज्ञान में आया, हमने विभाग में उच्चस्तरीय जांच का आदेश दिया। बिहार खनिज नियमावली के सुसंगत नियमों के आधार पर दिनांक 05.11.2024 को निदेशक, खान की अध्यक्षता में एक समिति गठित कर मामले की पुनः जांच कराई गई। समिति ने दिनांक 13 दिसंबर 2024 को जांच रिपोर्ट समर्पित की। उक्त जांच समिति के प्रतिवेदन से सहमत होते हुए खान आयुक्त के न्यायालय ने पर्यावरण स्वीकृति हेतु निर्धारित सीमा से अधिक खनन करने वाले चारों बालू घाट संचालकों से पूर्व में प्रस्तावित दंड की राशि वसूलने का आदेश दिया है।
30 करोड़ 68 लाख की राशि वसूलने का आदेश
इस आदेश के आधार पर (1) खिजरसराय बालू घाट (क्लस्टर संख्या-22) के ठेकेदार मेसर्स जय भगवती माइंस पर 19 करोड़ 35 लाख 22 हजार 820 रुपये का जुर्माना, (2) बैजूधाम बालू घाट (क्लस्टर संख्या-45) के ठेकेदार मेसर्स रंजीत कुमार पर 7 करोड़ 35 लाख 4 हजार 441 रुपये का जुर्माना, (3) बनाही एवं महुआमा बालू घाट (क्लस्टर संख्या-33) के ठेकेदार मेसर्स मल्लिक ट्रांसपोर्ट पर 3 करोड़ 49 लाख 4 हजार 441 रुपये का जुर्माना तथा विष्णुबिगहा बालू घाट (क्लस्टर संख्या-29) के ठेकेदार मेसर्स मल्लिक ट्रांसपोर्ट पर 48 लाख 83 हजार 980 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यानी इन चारों बालू घाटों से 30 करोड़ 68 लाख 16 हजार 111 रुपये जुर्माना वसूलने का आदेश दिया गया है।
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Author: News Patna Ki
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