Chara Ghotala : बिहार सरकार के इस कदम के बाद लालू के महकमे में हड़कंप, क्या बिक जाएगी सारी संपत्ति?

Chara Ghotala : बहुचर्चित चारा घोटाले में गबन किए गए 950 करोड़ रुपये वापस लाने के लिए बिहार सरकार ने नई पहल शुरू की है। सरकार इस रकम को वापस पाने के लिए कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है और CBI (केंद्रीय जांच ब्यूरो) और आयकर विभाग (IT) से भी बात करेगी। उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, “हम हर संभव उपाय कर रहे हैं, ताकि यह रकम बिहार के खजाने में वापस आ सके। अगर जरूरत पड़ी तो हम कोर्ट जाएंगे, जांच एजेंसियों से बात करेंगे।”
29 साल से इंतजार
चारा घोटाला 1990 के दशक में बिहार में हुआ एक बड़ा भ्रष्टाचार कांड है, जिसमें फर्जी बिलों के जरिए पशुपालन विभाग से 950 करोड़ रुपये का गबन किया गया था। मार्च 1996 में पटना हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी और गबन की गई रकम को बिहार सरकार के खजाने में वापस लाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि आरोपियों की संपत्ति जब्त कर नीलाम कर यह रकम वसूली जाए।
लेकिन 29 साल बाद भी खजाने में एक भी रुपया वापस नहीं आया है। इस दौरान कई बड़े नेता और अधिकारी जेल गए, सजा हुई और कुछ जमानत पर हैं। उस समय बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव इस घोटाले के मुख्य आरोपी थे। डोरंडा कोषागार से 139.5 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के मामले में उन्हें 2022 में पांच साल की सजा सुनाई गई, हालांकि स्वास्थ्य कारणों से वे जमानत पर हैं। लेकिन रकम वसूलने का दूसरा महत्वपूर्ण काम अधूरा रह गया है।
वसूली में चुनौतियां
चारा घोटाले में शामिल नेताओं और अफसरों ने गबन की गई रकम से खूब संपत्ति बनाई। सीबीआई और दूसरी एजेंसियों को इस संपत्ति को जब्त कर नीलाम करना था, लेकिन यह प्रक्रिया काफी जटिल साबित हुई है। जांच एजेंसियों का ज्यादातर समय रसूखदार आरोपियों को सजा दिलाने में ही चला गया, जिससे संपत्ति जब्ती और नीलामी की प्रक्रिया पीछे छूट गई।
पटना के पॉश इलाकों में कुछ संपत्तियों पर जब्ती बोर्ड तो लगा दिया गया है, लेकिन नीलामी नहीं हो रही है। वहीं, कई आरोपियों की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई है। इस मामले में याचिकाकर्ता और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, “इस मामले के ‘तार्किक निष्कर्ष’ के लिए घोटाले की राशि की वापसी जरूरी है। अदालत के आदेश का पालन होना चाहिए। एजेंसियों को सक्रिय होकर कानूनी पेचीदगियों को सुलझाना होगा।” याचिकाकर्ता सरयू राय ने भी कहा, “संपत्ति जब्त करना और नीलामी करना बहुत कठिन काम है। प्रक्रिया को सुचारू बनाना होगा, तभी सार्थक परिणाम मिलेंगे।”
चारा घोटाला क्या है?
चारा घोटाला 1990 के दशक तक चला। इसमें फर्जी पशुओं के नाम पर चारा, दवा और उपकरण की खरीद दिखाकर सरकारी खजाने से पैसे निकाले गए। 1996 में चाईबासा के तत्कालीन उपायुक्त अमित खरे ने पशुपालन विभाग के दफ्तरों में छापेमारी कर इस घोटाले का पर्दाफाश किया था। इस घोटाले में बिहार और झारखंड (तत्कालीन अविभाजित बिहार) के रांची, चाईबासा, दुमका, गुमला, जमशेदपुर और बांका जैसे कई जिलों के कोषागारों से अवैध निकासी का खुलासा हुआ था।
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Author: News Patna Ki
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