Patna High Court : पटना मेट्रो यार्ड के लिए अधिग्रहित जमीन वापस करने की मांग को लेकर दायर याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने अपने पहले के फैसले में संशोधन करते हुए यह फैसला सुनाया है। जो सरकार के लिए बड़ी राहत है।
Patna High Court : पटना मेट्रो यार्ड मामले में पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बड़ी राहत दी है। पटना के बैरिया स्थित मेट्रो रेल टर्मिनल और यार्ड को लेकर कानूनी विवाद को खत्म करते हुए हाईकोर्ट ने रानीपुर और पहाड़ी मौजा के जमीन मालिकों की दर्जनों अपीलों को खारिज कर दिया है और इस मामले में उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया है।
दूसरी ओर, इस मामले में राज्य सरकार को राहत देते हुए हाईकोर्ट ने अपनी एकल पीठ के फैसले को संशोधित किया। इसके तहत सरकार को 2014 में निर्धारित भूमि की न्यूनतम कीमत को अद्यतन करने तथा उन भू-धारकों को उनकी अधिग्रहित भूमि के बदले दी जाने वाली मुआवजा राशि में अनिवार्य रूप से वृद्धि करने का निर्देश दिया गया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आशुतोष कुमार और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने रंजीत कुमार व अन्य की ओर से दायर 20 से अधिक अपीलों का निपटारा/खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया।
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राज्य सरकार की ओर से दायर चार अपीलों को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए मेट्रो रेल के लिए अधिग्रहित भूमि के एवज में बढ़ी हुई अवार्ड (मुआवजा) राशि देने की सरकार की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही और किंकर कुमार ने बहस की, जबकि भू-धारक अपीलकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अखिल सिब्बल ने अदालत के समक्ष पक्ष रखा।
पटना के बैरिया में बन रहे पटना मेट्रो रेल के टर्मिनल निर्माण के लिए चिन्हित और अधिग्रहित की गई जमीन के भू-स्वामियों ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर मेट्रो रेल टर्मिनल के स्थल को दूसरी जगह स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है। उनकी ओर से कहा गया है कि अधिग्रहित जमीन पर बने मकानों में घनी आबादी रह रही है। विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए सरकार ने नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत कोई कार्रवाई नहीं की है।
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न्यायमूर्ति अनिल कुमार सिन्हा की एकल पीठ ने दिसंबर 2023 में फैसला सुनाया था कि मेट्रो रेल टर्मिनल/यार्ड की जमीन से छेड़छाड़ व्यापक जनहित में उचित नहीं है। हालांकि, एकल पीठ ने राज्य सरकार द्वारा दिए गए मुआवजे पर नाराजगी जताई थी और निर्देश दिया था कि एक दशक पुराने न्यूनतम सर्किल रेट पर जमीन की कीमत बहुत कम है। सरकार एमवीआर को संशोधित करे और मौजूदा दर पर जमीनधारकों को बढ़ी हुई मुआवजा राशि का भुगतान करे।
एकल पीठ के इस फैसले के खिलाफ रंजीत कुमार, ललिता देवी समेत पहाड़ी और रानीपुर मौजा के दर्जनों भू-स्वामियों/भवन स्वामियों, जिनकी जमीन और मकान मेट्रो रेल यार्ड के लिए अधिग्रहित किए गए थे, ने हाईकोर्ट की खंडपीठ में अपील दायर कर एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी थी। साथ ही उन्होंने यह भी अनुरोध किया था कि मुआवजे के बदले उनकी अधिग्रहित जमीन वापस की जाए। उन्होंने कहा कि पटना शहर में इतने बड़े पैमाने पर सौ से ज्यादा परिवारों को बसाना संभव नहीं है।
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अपीलकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित सिब्बल ने न्यायालय को बताया कि भूमि अधिग्रहण के संबंध में आपत्तियां दाखिल करने का समय नहीं था। एक ओर जहां लोग अभी कोरोना की घातक दूसरी लहर से उबर भी नहीं पाए हैं, वहीं दूसरी ओर 1 जून 2021 को समाचार पत्रों के माध्यम से जनता से मांगी गई आपत्तियां और सामाजिक प्रभाव का आकलन करने के लिए मांगी गई सलाह का निपटारा 3 जून 2021 को ही कर दिया गया। न्यायालय को बताया गया कि भारत में कहीं भी ऐसा अराजक अधिग्रहण किसी ने नहीं देखा होगा।

Author: News Patna Ki
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