PATNA IGIMS : पटना के प्रतिष्ठित सरकारी अस्पताल आईजीआईएमएस में पढ़ने वाले मेडिकल के छात्र की सड़क दुर्घटना के बाद इलाज के अभाव में मौत हो गई।

PATNA IGIMS : यह घटना न सिर्फ मेडिकल व्यवस्था की पोल खोलती है बल्कि आम लोगों की परेशानियों को भी दर्शाती है। मृतक छात्र की पहचान मोतिहारी निवासी अभिनव पांडेय के रूप में हुई है जो आईजीआईएमएस का छात्र भी था।
इलाज के लिए दर-दर भटकता रहा छात्र
7 अप्रैल को अभिनव का सड़क हादसा हुआ था, जिसके बाद उसे पहले पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन छात्र उसी संस्थान यानी IGIMS में इलाज कराना चाहता था, जहां वह पढ़ता था। दुर्भाग्य से जब उसे IGIMS लाया गया तो अस्पताल प्रशासन ने उसे यह कहकर भर्ती करने से मना कर दिया कि वहां कोई बेड खाली नहीं है।
समय पर इलाज न मिलने से हालत बिगड़ी
पारस अस्पताल में कुछ समय तक इलाज चलने के बावजूद अभिनव की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। चूंकि उन्हें अपने संस्थान में बेहतर इलाज की उम्मीद थी, इसलिए उन्होंने अस्पताल में इलाज शुरू कर दिया। इसलिए वहां से उसे कोई मदद नहीं मिली। छात्रों का आरोप है कि प्रशासन ने अपने ही छात्र के इलाज को प्राथमिकता नहीं दी, जिसके कारण उसकी जान चली गई।
अस्पताल में छात्रों का गुस्सा और हंगामा
अभिनव की मौत की खबर अस्पताल परिसर में फैलते ही आईजीआईएमएस के छात्र आक्रोशित हो गए। छात्रों ने अस्पताल निदेशक का घेराव कर संस्थान की लापरवाही के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि जब मेडिकल छात्र को अपने ही संस्थान में इलाज नहीं मिल पाएगा तो आम मरीजों की स्थिति और भी दयनीय होगी।
पुलिस ने संभाला मोर्चा
स्थिति को बेकाबू होते देख स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को काबू में किया। छात्रों ने घटना की उच्चस्तरीय जांच और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
प्रशासन की चुप्पी और उठ रहे सवाल
इस पूरे मामले पर आईजीआईएमएस प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन अभिनव की मौत ने न सिर्फ संस्थान की संवेदनहीनता को उजागर किया है, बल्कि यह भी साफ कर दिया है कि स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत कागजों से काफी अलग है।
एक होनहार मेडिकल छात्र की इतनी दुखद मौत से न सिर्फ छात्र समुदाय दुखी है, बल्कि पूरे राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की जा रही है। अगर बड़े संस्थान अपने ही छात्रों को प्राथमिकता नहीं दे सकते तो आम मरीजों के लिए बेहतर इलाज की उम्मीद कैसे की जा सकती है? अब देखना यह है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है।
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Author: News Patna Ki
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