तत्कालीन DCLR मैत्री सिंह द्वारा किए गए खेल से राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सबक लिया है। राजस्व न्यायालयों के कामकाज को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। डिजिटल तरीके से ऑनलाइन आदेश देने की नई व्यवस्था लागू कर दी गई है।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने पटना सदर की तत्कालीन DSLR मैत्री सिंह के खेल से सबक लिया है। आरोप है कि बिहार प्रशासनिक सेवा की अधिकारी और पटना सदर की डीसीएलआर मैत्री सिंह तबादले के बाद जमीन से जुड़े 700 मामलों की फाइलें अपने साथ ले गईं। खुलासा होने के बाद हड़कंप मच गया।
जिलाधिकारी पटना ने एक टीम गठित की, जांच में पाया गया कि तत्कालीन DSLR मैत्री सिंह अपने तबादले के बाद कार्यालय से मामले से जुड़ी फाइलें और अन्य सामान ले गई हैं। जिलाधिकारी ने पूरे मामले की जांच रिपोर्ट राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को भेज दी।
इसके बाद दिसंबर 2024 में सरकार ने आरोपी DSLR को निलंबित कर दिया। ऐसे मामले सामने आने के बाद भूमि सुधार उप समाहर्ता और जमीन से जुड़े मामलों में आदेश पारित करने वाले अन्य जिम्मेदार अधिकारियों में पारदर्शिता लाने की नई कोशिश शुरू हुई है।
पहले आवेदन ऑफलाइन था, अब आवेदन ऑनलाइन होगा
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से जानकारी दी गई है कि राजस्व न्यायालयों के कामकाज को और अधिक पारदर्शी एवं जवाबदेह बनाने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने अंतिम पारित आदेश को डिजिटल रूप से ऑनलाइन करने की नई व्यवस्था की है। इससे न्यायालयों में पारित आदेश सभी प्रभावित पक्षों को उसी दिन प्राप्त हो जाएगा, जिससे लोगों में किसी प्रकार की असंतोष की स्थिति नहीं रहेगी।
पहले राजस्व न्यायालयों द्वारा ऑफलाइन सुनवाई के बाद दिए गए आदेश को पारित करने, फिर उस पर कलम से हस्ताक्षर करने और फिर उसे पोर्टल पर ऑनलाइन करने की व्यवस्था थी। अब ऑनलाइन पोर्टल पर ही आदेश लिखने और उस पर डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाण पत्र (DSC) से हस्ताक्षर कर मामले का निष्पादन करने का प्रावधान किया गया है।
विभाग के सचिव ने सभी DM को लिखा पत्र
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने इस संबंध में सभी प्रमंडलीय आयुक्तों और सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखा है. पत्र में स्पष्ट किया गया है कि राजस्व न्यायालय प्रबंधन प्रणाली के तहत पारित आदेश को ऑनलाइन टाइप कर और डीएससी से हस्ताक्षरित कर ही मामलों का निष्पादन सुनिश्चित किया जाए. विभाग को जानकारी मिली थी कि कई मामलों में विभिन्न स्तरों के राजस्व न्यायालयों के आदेश पूर्व की तिथि से हस्ताक्षरित और निर्गत किए गए हैं. लेकिन उन्हें बाद की तिथि में आरसीएमएस पोर्टल पर अपलोड किया गया है. इससे फर्जीवाड़े की आशंका को बल मिलता है. बता दें, पटना सदर के DSLR ने भी यही काम किया था. तब पटना के जिलाधिकारी ने पूरे मामले का खुलासा किया था. डीएम की रिपोर्ट पर तत्कालीन DSLR को निलंबित कर दिया गया है.
विभाग ने बताया है कि पोर्टल पर आदेश अपलोड होने के बाद ही आवेदक, अपीलकर्ता या विरोधी को इसकी जानकारी हो पाती है। निर्णयों की देर से जानकारी मिलने के कारण आवेदक या अपीलकर्ता को अपील या पुनरीक्षण के लिए उपलब्ध वैधानिक अवधि कम हो जाती है। इससे उनके अधिकारों का हनन होता है। राजस्व न्यायालय प्रबंधन प्रणाली के तहत न्यायालय की सभी प्रक्रियाएं जैसे सभी मामलों को ऑनलाइन दाखिल करना, मामलों की सुनवाई से संबंधित वाद सूची को ऑनलाइन करना और सुनवाई की तिथि पर पारित अंतरिम आदेश को डिजिटल रूप से ऑनलाइन दर्ज करना पहले से ही लागू है।
राजस्व प्रबंधन से संबंधित सभी न्यायालयों को एकीकृत कर एक ही पोर्टल में समाहित कर दिया गया है। नया आदेश अंचल अधिकारी, भूमि सुधार उप समाहर्ता, अपर समाहर्ता, समाहर्ता और आयुक्त के राजस्व न्यायालयों पर समान रूप से लागू होगा। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने कहा कि जून, 2024 में सभी राजस्व न्यायालयों को एकीकृत कर एक ही पोर्टल में समाहित कर दिया गया था।
अगस्त, 2024 में समाहर्ता और आयुक्त के न्यायालय को इसमें जोड़ दिया गया। नई व्यवस्था से न्यायिक निर्णय के वितरण और उसके प्रकाशन/प्रसारण के बीच का अंतर खत्म हो जाएगा।

Author: News Patna Ki
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